सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी ट्रस्ट की ओर से जारी किए गए चेक के अनादरण (बाउंस होने) के मामले में, चेक पर हस्ताक्षर करने वाले ट्रस्टी के खिलाफ परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) के तहत आपराधिक शिकायत सुनवाई योग्य है, भले ही उस ट्रस्ट को मामले में आरोपी न बनाया गया हो।
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने मेघालय हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें एक ट्रस्ट के चेयरमैन के खिलाफ केवल इसलिए कार्यवाही रद्द कर दी गई थी क्योंकि ट्रस्ट को एक आवश्यक पक्ष के रूप में शामिल नहीं किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक शिकायत को बहाल करते हुए ट्रस्टियों की कानूनी देनदारी पर स्थिति स्पष्ट कर दी है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला मेघालय स्थित विलियम केरी विश्वविद्यालय से जुड़े एक वित्तीय विवाद से उपजा है। व