इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति व्हाट्सएप पर ऐसा संदेश कई लोगों को भेजता है जिसमें यह आरोप लगाया गया हो कि किसी समुदाय विशेष के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, तो यह प्रथमदृष्टया विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य, घृणा और दुर्भावना फैलाने का अपराध माना जाएगा।
जस्टिस जे. जे. मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता अफाक अहमद की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए की। अहमद पर आरोप है कि उन्होंने व्हाट्सएप पर एक भड़काऊ संदेश कई लोगों को फॉरवर्ड किया था।
याचिकाकर्ता ने अपने भाई के संदर्भ में एक संदेश व्हाट्सएप पर भेजा था, जिसमें यह संकेत दिया गया था कि उनके भाई को एक झूठे मामले में फंसाया गया क्योंकि वह एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इसी के आधार पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 226 के त