भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित एक जमानत आदेश को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट ने यह जमानत पूरी तरह से एक पिछले आदेश पर भरोसा करके दी थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एक संबंधित मामले में उस आदेश को आधार बनाने पर स्पष्ट रूप से रोक लगा दी थी।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने जमानत अर्जी को हाईकोर्ट के समक्ष नए सिरे से उसके गुण-दोष के आधार पर निर्णय के लिए पुनर्जीवित करने का निर्देश दिया। यह अपील, सुशील सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य (आपराधिक अपील संख्या 2486/2025), मामले में शिकायतकर्ता द्वारा दायर की गई थी।

अपील की पृष्ठभूमि

यह अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 20 दिसंबर, 2024 को जारी एक आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। उस आक्षेपित आदेश (impugned order) के जरिए, हाईकोर्ट ने प्रतिवादी संख

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