दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत एक शिकायत में, किसी कंपनी को अभियुक्त के तौर पर समन करने से इनकार करने वाला निचली अदालत का आदेश, एक विशुद्ध “अंतरिम आदेश” (interlocutory order) नहीं है। इसलिए, ऐसे आदेश के खिलाफ एक आपराधिक रिवीजन याचिका दायर की जा सकती है।
जस्टिस स्वर्णा कांता शर्मा ने एक आपराधिक रिवीजन याचिका की स्वीकार्यता के प्रारंभिक प्रश्न पर निर्णय देते हुए यह माना कि ऐसा आदेश शिकायतकर्ता के मुकदमा चलाने के मौलिक अधिकार को पर्याप्त रूप से प्रभावित करता है और प्रमुख अपराधी के खिलाफ कार्यवाही को समाप्त (foreclose) कर देता है। इसलिए, कोर्ट ने रिवीजन याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।
मामले की पृष्ठभूमि
मौजूदा आपराधिक रिवीजन याचिका (CRL.REV.P. 1366/2024) याचिकाकर्ता सुजाता

LawTrend![[एनआई एक्ट धारा 138] चेक बाउंस केस में कंपनी को समन करने से इनकार का आदेश ‘अंतरिम’ नहीं; रिवीजन सुनवाई योग्य: दिल्ली हाईकोर्ट](https://static.novanewsapp.com/news_info/image/2025/10/2eb18e0cd2974b7f924aefdbdcbf734f.jpg)

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