सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट के एक फैसले को रद्द कर दिया है और एक रेत खदान के लिए नई नीलामी का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह फैसला इसलिए दिया क्योंकि टेंडर की एक शर्त ‘पिछले वित्तीय वर्ष’ (previous financial year) की गलत व्याख्या के कारण सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने “त्रुटिपूर्ण” (erroneous) माना।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि टेंडर की शर्त आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के “सामंजस्य” (in harmony) में होनी चाहिए। कोर्ट ने ओडिशा राज्य को उस बोलीदाता को जमा राशि 6% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया, जिसे पहले सफल घोषित किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह अपीलें उड़ीसा माइनर मिनरल कंसेशन रूल्स, 2016 (जिन्हें ‘नियम’ कहा गया है) के नियम 27(4)(iv) की व्याख्या के मुद्दे पर थीं।
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