चण्डीगढ़, 08.11.25- : पंजाब यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली सभागार में हिंदी विभाग द्वारा प्रोफेसर लक्ष्मी नारायण शर्मा जी की संस्मृति में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के प्रथम वक्तव्य के रूप में सद्भावना दूत भागवताचार्य स्वामी डॉ रमनीक कृष्ण जी महाराज ने गुरु परम्परा पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा के भारतवर्ष ऋषियों मुनियों व यतियों का देश हैं। यहां पर वैदिक काल से गुरु परम्परा का निर्वाहन होता आया है। महर्षि वेदव्यास जी ने वेदों को चार भागों में बांटा ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। एक एक वेद के एक के शिष्य बनाएं पैल, जेमिनी, वैशंपायन व सुमन्तु। पांचवां वेद महाभारत को माना जिसके शिष्य के रूप के लोमहर्षण जी को महाभारत के संपादन का कार्य दिया। इन चारों शिष्यों ने गुरु परम्परा का पूर्णतः निर्वहन करते हुए इसे आगे बढ़ाया। भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध में देवहूति कर्दम उपाख्यान में देवहूति अपने पु
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि संसार की समस्त आसक्तियों का नाश केवल सत्संग से हो सकता है : डॉ रमनीक कृष्ण जी महाराज
India News Calling23 hrs ago
61

NDTV
AlterNet
Raw Story
CNN