दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार और नगर निगम (MCD) से यह स्पष्ट करने को कहा कि भिक्षा मांगने वाले, बेसहारा या प्रवासी बच्चों को अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने अब तक कौन-कौन से कदम उठाए हैं।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेड़ेला की पीठ ने कहा कि सरकार सड़कों पर भीख मांगते या दयनीय हालात में रहने वाले बच्चों की शिक्षा से जुड़े सवालों पर आँख नहीं मूँद सकती। अदालत ने कहा कि संविधान और विभिन्न कानून राज्य पर यह दायित्व डालते हैं कि 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाए।
पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, “राज्य बहरा-गूंगा नहीं बन सकता।”
अदालत ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग और MCD को निर्देश दिया कि वे 6 सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर यह बताएं कि 14 साल तक के ऐसे बच्चों को अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा सुनिश्चित करने के

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