दिल्ली हाई कोर्ट ने लगभग पच्चीस साल पुराने मामले में एक महिला को जला कर मारने के दोषी उसके पति और बेटे की सज़ा को बरकरार रखते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सभी सबूत, खासकर उसका मृत्यु-पूर्व बयान, दोनों की दोषसिद्धि को “अखंड और पुख्ता” रूप से साबित करते हैं।
न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद और न्यायमूर्ति विमल कुमार यादव की खंडपीठ ने दोनों आरोपियों की अपील खारिज कर दी। अपील लंबित रहने के दौरान महिला के पति दिदार सिंह की मृत्यु हो चुकी है, जबकि उसका बेटा मान सिंह फरार है।
निर्णय की शुरुआत में पीठ ने मां और बच्चे के रिश्ते की पवित्रता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मां “नौ महीने पेट में, तीन साल गोद में और उम्र भर दिल में” संजोकर रखती है। अदालत ने प्रसिद्ध पंक्ति “पूत कपूत सुने हैं, पर ना माता सुनी कुमाता” उद्धृत करते हुए कहा कि बुरे बेटे की बातें तो सुनी जाती हैं, पर बुरी मां का कोई उदाहरण नहीं म

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