दिल्ली हाईकोर्ट ने मंडोली जेल में कैदियों के साथ मारपीट, डिजिटल माध्यम से वसूली और जेल प्रशासन की कथित लापरवाहियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने कहा कि ऐसी आरोपों से “गंभीर चिंता” पैदा होती है और इनकी निष्पक्ष जांच ज़रूरी है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने ये टिप्पणियाँ उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं, जिसमें फ़रमान नाम के एक अंडरट्रायल कैदी ने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य कैदियों को जेल अधिकारियों के इशारे पर पैसे वसूलने के लिए प्रताड़ित और पीटा जा रहा है।

अदालत ने 7 नवंबर के आदेश में कहा कि इस याचिका को CBI की अदालत-निगरानी वाली जांच में शिकायत के रूप में लिया जाए, जो इसी तरह के आरोपों पर पहले से जारी है।

न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी प्रारंभिक जांच के बाद यह तय कर सकते हैं कि क्या अलग FIR दर्ज होनी चाहिए या आरोपों की जांच मौजूदा केस में ही की जा सकती है।

अदालत ने कहा कि याचिक

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