उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है, जिसमें मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत लगाए गए आरोप भी शामिल थे। न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 528 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि पक्षकारों के बीच पूर्ण समझौता होने के बावजूद आपराधिक मुकदमे को जारी रखना अनुचित होगा और यह न्याय के हित के खिलाफ होगा।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला नैनीताल जिले के रामनगर पुलिस स्टेशन में 26 अगस्त 2023 को दर्ज एफआईआर (FIR No. 0390/2023) से संबंधित है। जांच के बाद पुलिस ने पति और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान), 506 (आपराधिक धमकी) और मुस्लिम महिला (

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