दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि केवल गिरफ्तारी के लिखित आधार (written grounds of arrest) न दिए जाने से हिरासत अवैध नहीं हो जाती, जब तक कि आरोपी यह साबित न कर दे कि इससे उसे कोई वास्तविक पूर्वाग्रह (prejudice) या नुकसान हुआ है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने साद बनाम राज्य सरकार (एनसीटी दिल्ली) और अन्य (CRL.M.C. 7600/2025) के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि आरोपी को गिरफ्तारी के कारणों की पर्याप्त जानकारी थी और उसे वकील का प्रतिनिधित्व प्राप्त था, तो लिखित आधार प्रस्तुत करने में हुई प्रक्रियात्मक चूक एक सुधार योग्य त्रुटि (curable defect) मात्र है।
याचिकाकर्ता साद, जो जाफराबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज एक हत्या के मामले में आरोपी है, ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध घोष

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