सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्ति को सही ठहराया गया था। कर्मचारी को इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि उसके पास विज्ञापन में मांगी गई “सांख्यिकी में स्नातकोत्तर डिग्री” (Postgraduate degree in Statistics) नहीं थी, जबकि उसने एम.कॉम (M.Com) में सांख्यिकी (Statistics) को मुख्य विषय के रूप में पढ़ा था।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की पीठ ने कहा कि केवल डिग्री के नाम पर जोर देना और उसके पाठ्यक्रम (Curriculum) को नजरअंदाज करना “तथ्य के ऊपर स्वरूप को प्राथमिकता देना” (Elevating form over substance) है। कोर्ट ने माना कि जब राज्य का कोई भी सरकारी विश्वविद्यालय “सांख्यिकी” नाम से अलग स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान नहीं करता है, तो ऐसी मांग करना अनुचित है।
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