हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) की धारा 138 के तहत एक बार ‘कॉज ऑफ एक्शन’ (वाद का कारण) उत्पन्न हो जाने के बाद, आरोपी द्वारा किया गया भुगतान उसे आपराधिक दायित्व से मुक्त नहीं करता है। न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की पीठ ने आपराधिक शिकायत को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि चेक की तारीख पर कोई कर्ज या देनदारी मौजूद है, तो सिक्योरिटी के तौर पर दिया गया चेक भी धारा 138 के दायरे में आता है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला उत्कर्ष शर्मा द्वारा मैसर्स न्यू जेसीओ और अन्य के खिलाफ दायर एक शिकायत से जुड़ा है। शिकायतकर्ता के अनुसार, आरोपियों ने उनसे 4,46,472 रुपये की सेब की फसल खरीदी थी। इस देनदारी को चुकाने के लिए आरोपियों ने 21 अप्रैल, 2025 को उक्त राशि का चेक (संख्या 508284) जारी किया।

जब शिकायतकर्ता

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