सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नागरिक विवादों को आपराधिक मामलों में बदलने की बढ़ती प्रवृत्ति पर कड़ी नाराज़गी जताई और स्पष्ट किया कि अदालतें “वसूली एजेंट” का काम नहीं कर सकतीं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि केवल बकाया धनराशि की वसूली के लिए गिरफ्तारी की धमकी का सहारा लेना कानून का दुरुपयोग है। अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि पैसों की वसूली के विवाद में अपहरण जैसी गंभीर धाराएँ भी आरोपित की गई हैं।

पीठ ने कहा कि इस तरह का दुरुपयोग न्याय प्रणाली के लिए “गंभीर खतरा” है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की—

“अदालतें पक्षकारों के लिए बकाया वसूली एजेंट नहीं हैं। न्यायिक व्यवस्था का इस प्रकार दुरुपयोग स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

अदालत ने पुलिस को सलाह दी कि गिरफ्तारी करने से पहले यह विवेकपूर्वक तय करें कि म

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