भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर, 2025 को जमानत रद्द करने की मांग वाली एक विशेष अनुमति याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह याचिका निष्फल हो गई है, क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट ने मामले में चल रही आपराधिक कार्यवाही को पहले ही रद्द कर दिया था। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने मामले को सूचीबद्ध करने में हुई एक महत्वपूर्ण देरी पर गंभीर संज्ञान लिया और रजिस्ट्रार (न्यायिक) को इस मामले में जांच करने का निर्देश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मामला एक विशेष अनुमति याचिका (Crl.) संख्या 3832/2022 के रूप में आया था, जिसे एक यौन अपराध मामले में मूल शिकायतकर्ता द्वारा दायर किया गया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 228A के अनुपालन में याचिकाकर्ता की पहचान को उजागर नहीं किया गया है। याचिका में मद्रास हाईकोर्ट के 7 जुलाई, 2021 के अंतिम फैसले और आदेश को चु