सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि जो वकील किसी हलफनामे (Affidavit) में केवल शपथकर्ता (Deponent) की पहचान करता है या उसे सत्यापित (Attest) करता है, वह उस हलफनामे में दिए गए बयानों की सच्चाई के लिए जिम्मेदार नहीं हो जाता। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस तरह के कार्य से वकील हलफनामे की सामग्री का भागी नहीं बन जाता।
अदालत ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी एक याचिकाकर्ता और बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा (BCMG) द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए की। कोर्ट ने संबंधित वकील के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को “विरोधी पक्षकार के इशारे पर… स्पष्ट रूप से एक दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का मामला” करार दिया और शिकायतकर्ता तथा BCMG दोनों पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह फैसला उसी पीठ के स