सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत किसी व्यक्ति की ‘वरिष्ठ नागरिक’ की स्थिति का निर्धारण उस तारीख से किया जाएगा जिस दिन भरण-पोषण ट्रिब्यूनल के समक्ष आवेदन दायर किया गया था, न कि किसी बाद की तारीख से। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें एक बेटे के खिलाफ बेदखली के आदेश को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि वह कानूनी कार्यवाही के दौरान 60 वर्ष का हो गया था।

अदालत ने 80 वर्षीय पिता कमलाकांत मिश्रा की अपील को स्वीकार करते हुए, उनके बेटे के खिलाफ भरण-पोषण ट्रिब्यूनल द्वारा पारित बेदखली और भरण-पोषण के आदेशों को बहाल कर दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता, 80 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक कमलाकांत मिश्रा और उनकी 78 वर्षीय पत्नी के तीन बच्चे

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