मोटर दुर्घटना मुआवजा कानून पर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण देते हुए, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई भी बीमा कंपनी केवल इस आधार पर किसी तीसरे पक्ष (थर्ड-पार्टी) के पीड़ित के दावे को सीधे तौर पर अस्वीकार नहीं कर सकती कि दुर्घटना के समय वाहन चलाने वाले ड्राइवर का लाइसेंस एक्सपायर हो गया था। कोर्ट ने इस बात को दोहराया कि बीमाकर्ता का पहला और प्राथमिक कर्तव्य पीड़ित को मुआवज़े का भुगतान करना है। इसके बाद वह पॉलिसी की शर्तों के उल्लंघन के लिए बीमित वाहन मालिक से उस राशि की वसूली कर सकती है।

यह महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने दिया। बेंच ने एक दुर्घटना पीड़ित के परिवार के हितों की रक्षा के लिए “भुगतान करो और वसूल करो” (pay and recover) के सिद्धांत को लागू किया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह कानूनी सवाल रमा बाई द्वारा दायर एक अपील से पैदा

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