सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11(5) के तहत दायर एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दावा “पूरी तरह से समय-सीमा द्वारा वर्जित” था। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यूनाइटेड किंगडम निवासी एलन मर्विन आर्थर स्टीफेंसन द्वारा जे. जेवियर जयराजन के खिलाफ एक मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए दायर की गई याचिका को अस्वीकार कर दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह कानूनी विवाद याचिकाकर्ता श्री स्टीफेंसन और प्रतिवादी श्री जयराजन के बीच 20 सितंबर 2014 को हुए एक साझेदारी विलेख से उत्पन्न हुआ था। इससे पहले, याचिकाकर्ता की बहन और प्रतिवादी के बीच 10 अप्रैल 2008 को रियल एस्टेट कारोबार के लिए एक साझेदारी हुई थी, जिसे 22 दिसंबर 2008 को भंग कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्होंने नई साझेदारी में कुल 2,31,85,600/- रुपये का भारी निवेश किय

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