सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहयोग अब कोई आकांक्षा नहीं, बल्कि न्यायपालिका के रोजमर्रा के कार्य का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।

वे यहां आयोजित वार्षिक वाद-विवाद सम्मेलन ‘कोमिटी ऑफ कोर्ट्स एंड इंटरनेशनल लीगल कोऑपरेशन इन प्रैक्टिस’ को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “यह याद रखना चाहिए कि न्याय कोई ऐसा वस्तु नहीं है जिसे राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर सीमित रखा जाए; यह एक सार्वभौमिक आकांक्षा है। न्यायालयों की समानता (comity of courts) और अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहयोग ही वह साधन हैं, जिनसे हम इस आकांक्षा के करीब पहुंचते हैं।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि आज के दौर में वाद-विवाद (litigation) पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अब विवाद किसी एक देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहते। संपत्ति सिंगापुर में हो

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