मणिपुर हाईकोर्ट ने परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act), 1881 पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि धारा 139 के तहत यह वैधानिक अनुमान कि चेक किसी कर्ज या देनदारी के लिए जारी किया गया था, तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि शिकायतकर्ता पहले कानूनी रूप से वसूली योग्य कर्ज के अस्तित्व को स्थापित न कर दे। चेक बाउंस के एक मामले में आरोपी की दोषमुक्ति को बरकरार रखते हुए, अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी द्वारा चेक पर केवल अपने हस्ताक्षर स्वीकार कर लेना इस अनुमान को आकर्षित करने के लिए अपर्याप्त है।
यह फैसला न्यायमूर्ति ए. गुनेश्वर शर्मा ने श्री मनोज कुमार जैन द्वारा दायर एक आपराधिक अपील में सुनाया, जिसमें उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, इम्फाल पश्चिम द्वारा श्री महेंद्र कुमार जैन को बरी किए जाने को चुनौती दी थी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह विवाद अपीलकर्ता श्री मनोज कुमार जै

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