सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि “सिर्फ शादी से इंकार करना” भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने एक व्यक्ति के खिलाफ IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत चल रही आपराधिक कार्यवाही को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यदि अभियोजन के सभी आरोपों को सही मान भी लिया जाए, तब भी इस अपराध के आवश्यक तत्व पूरे नहीं होते।

कोर्ट ने यादविंदर सिंह @सनी द्वारा दायर एक आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 17.3.2025 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी गई थी।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला FIR नंबर 273/2016 से संबंधित है, जो 7.11.2016 को अमृतसर शहर के छेहरटा पुलिस स्टेशन में

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