सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर, 2025 के एक महत्वपूर्ण फैसले में, नागपुर नगर निगम को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने के हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के तहत, किसी लापता व्यक्ति को सात साल की अवधि समाप्त होने के बाद ही मृत माना जाएगा, न कि उस तारीख से जब वह लापता हुआ था।
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि यदि कोई पक्ष यह दावा करता है कि मृत्यु लापता होने के दिन या किसी और विशिष्ट दिन हुई है, तो उसे यह बात ठोस सबूतों के साथ साबित करनी होगी।
यह कानूनी मुद्दा इस सवाल पर केंद्रित था कि क्या ‘सिविल डेथ’ के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति का दावा तब किया जा सकता है, जब कर्मचारी लापता होने की अवधि के दौरान ही सेवा से रिटायर हो गया हो और परिवार ने सभी रिटायरमेंट लाभ स्वीकार कर लिए हों।
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