मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने रविवार को कहा कि कानूनी सहायता केवल परोपकार का कार्य नहीं, बल्कि यह एक नैतिक और संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि कानूनी सेवा से जुड़े अधिकारी, प्रशासक और स्वयंसेवक अपनी भूमिका को “प्रशासनिक कल्पनाशक्ति” के साथ निभाएं ताकि न्याय व्यवस्था की पहुँच देश के हर कोने तक सुनिश्चित हो सके।

वे “कानूनी सहायता वितरण प्रणाली को सशक्त बनाना” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र और “कानूनी सेवा दिवस” समारोह में बोल रहे थे, जिसका आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने अपनी स्थापना के 30 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया।

कानूनी सहायता शासन की जिम्मेदारी है, दान नहीं

मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “कानूनी सहायता केवल परोपकार नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य है। यह शासन का एक अभ्यास है — यह सुनिश्चित करने का प्रयास कि कानून का राज हमारे देश के हर को

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