सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जजों के खिलाफ ‘निंदनीय और मनगढ़ंत आरोप’ लगाने के ‘बढ़ते चलन’ पर कड़ी चेतावनी जारी की है। अदालत ने कहा कि यह चलन उन वादियों और वकीलों में बढ़ रहा है, जिनके पक्ष में फैसला नहीं आता।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी.आर. गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने यह टिप्पणी एक अवमानना मामले को बंद करते हुए की। यह अवमानना कार्यवाही एक वादी और दो वकीलों के खिलाफ शुरू की गई थी, लेकिन अदालत ने इसे तब बंद कर दिया जब संबंधित हाईकोर्ट जज ने उनकी माफी स्वीकार कर ली।

अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी की, “हाल के दिनों में, हमने एक बढ़ता हुआ चलन देखा है कि जब जज अनुकूल आदेश नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ निंदनीय और मनगढ़ंत आरोप लगाए जाते हैं। इस तरह की प्रथा को सख्ती से हतोत्साहित करने की जरूरत है।”

यह अवमानना मामला वादी एन पेद्दी राजू और उनके दो वकीलों, रितेश पाटिल और नितिन मेश्राम से

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