उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल की फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक महिला को अंतरिम भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि महिला की पहचान, उसकी वैवाहिक स्थिति और उसके इस दावे — कि वह खरक सिंह की दूसरी पत्नी है — की उचित जांच नहीं की गई।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी ने कहा कि मामला कई जटिल तथ्यात्मक पहलुओं से भरा है, जिनकी गहन जांच जरूरी है। उन्होंने पाया कि फैमिली कोर्ट ने आवश्यक दस्तावेजी और अन्य साक्ष्यों की जांच किए बिना ही भरण-पोषण का आदेश पारित कर दिया था।
फैमिली कोर्ट ने पहले धनौली देवी के पक्ष में अंतरिम भरण-पोषण का आदेश दिया था। इसके खिलाफ खरक सिंह ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दायर किया। सिंह का कहना था कि उनकी पत्नी का निधन 5 अगस्त 2020 को हो चुका है और धनौली देवी, जो पहले घरेलू सहायक थी, गलत तरीके से खुद को उनकी पत्नी बताकर पेंशन लाभ प

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