सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि अचल संपत्ति (immovable property) के बिक्री समझौते (agreement to sell) के विशिष्ट पालन (specific performance) की डिक्री को असाइन करने वाले विलेख (deed) का पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 के तहत अनिवार्य पंजीकरण आवश्यक नहीं है।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने निर्णय-ऋणी (judgment-debtor) के कानूनी वारिसों द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए यह पुष्टि की कि ऐसी डिक्री अपने आप में अचल संपत्ति में कोई अधिकार, स्वामित्व या हित (right, title, or interest) नहीं बनाती है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला ( राजेश्वरी और अन्य बनाम षणमुगम और अन्य , सिविल अपील संख्या 13835/2025) एक निष्पादन कार्यवाही (execution proceeding) से उत्पन्न हुआ था। अपीलकर्ता एक निर्णय-ऋणी के कानूनी वारिस हैं, जिनके खिलाफ 13 सितंबर, 1993

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