इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर-नूरी जामा मस्जिद की प्रबंध समिति द्वारा दायर उस रिट याचिका को निपटा दिया है, जिसमें आशंका जताई गई थी कि प्राधिकरण पूरे 19वीं सदी के संरक्षित ढांचे को गिरा सकते हैं। अदालत ने यह कदम उत्तर प्रदेश सरकार की इस स्पष्ट और श्रेणीबद्ध आश्वासन पर उठाया कि मस्जिद का अब कोई और हिस्सा ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं है ।
दो-सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता शामिल थे, ने कहा कि राज्य द्वारा की गई कार्रवाई केवल उन अतिक्रमणों तक सीमित थी जो मस्जिद की मूल सीमाओं से बाहर सरकारी भूमि पर बनाए गए थे।
याचिका भले ही निपटा दी गई, लेकिन अदालत ने प्रबंध समिति को यह स्वतंत्रता दी कि वे उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 24 के तहत सीमा निर्धारण (डिमार्केशन) के लिए आवेदन दे सकते हैं।
धारा 24 के तहत उप-जिला अधिकारी संक्षिप्त जांच कर भूम

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