बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में माना है कि जिस शादी में सुलह की कोई गुंजाइश न बची हो और जो पूरी तरह से टूट चुकी हो (Irretrievable Breakdown of Marriage), उसे जबरन बनाए रखना दोनों पक्षों के लिए ‘क्रूरता’ के समान है। चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम ए. अनखाड की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करते हुए पति को तलाक की डिक्री प्रदान की।

अदालत ने यह राहत तब दी जब यह सामने आया कि पति ने अपनी दूसरी शादी को लेकर कोर्ट में झूठा हलफनामा (False Affidavit) दायर किया था। हालांकि, कोर्ट ने पति के इस आचरण को ‘परजुरी’ माना, लेकिन शादी के पूरी तरह खत्म हो जाने की वास्तविकता को प्राथमिकता दी। न्याय के संतुलन को बनाए रखने के लिए, कोर्ट ने पति को निर्देश दिया है कि वह पत्नी को पूर्ण और अंतिम समझौते (Full and Final Settlement) के रूप में 25 लाख रुपये, दो फ्लैट और 80 ग्राम

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