छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा पाए एक दोषी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा पहचान परेड (Test Identification Parade) की प्रक्रिया में भारी खामियां थीं और अभियोजन पक्ष आरोपी को अपराध से जोड़ने वाली परिस्थितियों की कड़ी साबित करने में विफल रहा। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि भले ही यह साबित हो गया हो कि अपराध घटित हुआ है, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि अपराध अपीलकर्ता ने ही किया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह अपील ( CRA No. 1323 of 2022 ) प्रसेन कुमार भार्गव द्वारा दायर की गई थी, जिन्हें बलौदाबाजार की विशेष अदालत (FTSC POCSO) ने 8 जुलाई 2022 को आईपीसी की धारा 450, 363, 506-II और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास

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