पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सरकारी डॉक्टर के खिलाफ सिर्फ इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने पर कड़ी नाराजगी जताई कि उसने COVID ड्यूटी के दौरान इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे एक विधायक के लिए खड़े होकर अभिवादन नहीं किया। अदालत ने इसे राज्य सरकार की “असंवेदनशील” और “अत्यंत चिंताजनक” कार्रवाई बताते हुए डॉक्टर को स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स (PG) के लिए आवश्यक NOC तुरंत जारी करने का निर्देश दिया और राज्य सरकार पर ₹50,000 की लागत भी लगाई।
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहित कपूर की पीठ ने यह आदेश 21 नवंबर को डॉ. मनोज द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। याचिका के अनुसार, COVID महामारी के दौरान याचिकाकर्ता हरियाणा के एक सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात थे। उसी दौरान एक MLA अस्पताल का दौरा करने आए और इस बात से नाराज हो गए कि डॉक्टर उनके आने पर खड़े नहीं

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