सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपनी शादी के समय दिए गए सोने के गहनों और नकदी को वापस पाने की पूरी तरह हकदार है। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस नोंगमीकापम कोटेश्वर सिंह की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें महिला को शादी के वक्त मिले स्त्रीधन (सोना और नकदी) की वापसी से वंचित कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986’ की व्याख्या “सामाजिक न्याय न्यायनिर्णयन” (Social Justice Adjudication) के आधार पर की जानी चाहिए, जिसका उद्देश्य महिलाओं की गरिमा और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
कोर्ट के सामने मुख्य सवाल यह था कि “क्या पिता द्वारा अपनी बेटी की शादी के समय या दूल्हे को दिया गया सामान, शादी के तलाक में टूटने के बाद कानून के तहत बेटी को वापस लौटाया जा सकता है?”
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