सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पत्नी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 84 वर्षीय स्वामी श्रद्धानंद की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दिए गए उस फैसले की समीक्षा की मांग की थी जिसमें निर्देश दिया गया था कि उन्हें जीवन के शेष समय जेल में ही रहना होगा।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विश्नोई की पीठ ने श्रद्धानंद को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए कर्नाटक सरकार का दरवाजा खटखटाने को कहा। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने याचिका वापस ले ली, जिसे अदालत ने वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया।
श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2008 के उस फैसले की समीक्षा मांगी थी, जिसमें तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने उनकी मौत की सजा को बिना रिहाई की संभावना वाली आजीवन कारावास में बदलते हुए निर्देश दिया

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