सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल शुरू हुए दो साल तक जेल में रखना “गैरकानूनी हिरासत” है। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता, चाहे उस पर UAPA जैसे कड़े कानून के तहत ही आरोप क्यों न हों। अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह टिप्पणी असम में नकली भारतीय मुद्रा रखने के आरोप में गिरफ्तार टोनलोंग कोन्याक की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

पीठ ने कहा,

“UAPA में कठोर प्रावधान हो सकते हैं, लेकिन कानून गैरकानूनी हिरासत की अनुमति नहीं देता। यह बेहद चौंकाने वाला है। दो साल तक आपने चार्जशीट दाखिल नहीं की और व्यक्ति हिरासत में रहा? यह वास्तव में गैरकानूनी हिरासत है।”

राज्य के वकील ने बताया कि कोन्याक म्यांमार का नागरिक है और उसके कब्ज

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