बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 का उद्देश्य कमजोर और असहाय वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा करना है, किंतु इसे संक्षिप्त प्रक्रिया के माध्यम से बच्चों को बेदखल करने के औज़ार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अदालत ने सोमवार को 53 वर्षीय व्यक्ति की बेदखली के खिलाफ दायर याचिका स्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया।
जस्टिस आर आई छागला और जस्टिस फरहान दुबाश की खंडपीठ ने कहा कि यह अधिनियम “वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा हेतु एक कल्याणकारी कानून है, परन्तु इसका (दुरुपयोग) केवल सारांश बेदखली के साधन के रूप में नहीं किया जा सकता।”
ट्रिब्यूनल ने पिछले वर्ष अक्टूबर में आदेश जारी करते हुए बेटे को 75 वर्षीय पिता के स्वामित्व वाले बंगले को खाली कर कब्जा सौंपने का निर्देश दिया था। पिता, जो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, ने आवे

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