इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि अदालती कार्यवाही के दौरान अपनी वास्तविक आय छिपाने के उद्देश्य से फर्जी या छेड़छाड़ किए गए बैंक स्टेटमेंट दाखिल करना ‘जालसाजी’ (Forgery) की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कृत्य न्याय की प्रक्रिया को दूषित करने का प्रयास है और यह कानून की गरिमा का अपमान है।

जस्टिस विक्रम डी. चौहान की पीठ ने धारा 482 सीआरपीसी (Cr.P.C.) के तहत दायर याचिका को खारिज करते हुए, धारा 466 आईपीसी (IPC) के तहत पति के खिलाफ जारी समनिंग आदेश (Summoning Order) को सही ठहराया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला गौरव मेहता और उनकी पूर्व पत्नी (विपक्षी संख्या 2) के बीच वैवाहिक विवाद से जुड़ा है। दोनों का विवाह 2004 में हुआ था और 2007 में तलाक हो गया था। इसके बाद, पत्नी ने अपने नाबालिग बेटे के भरण-पोषण (Maintenance) के लिए धारा 125 सीआरपीसी के तहत फैमिली

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