सुप्रीम कोर्ट ने मादक पदार्थ (NDPS) अधिनियम के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि मानवीय आधार कानून द्वारा निर्धारित अनिवार्य न्यूनतम सजा (Minimum Mandatory Sentence) को दरकिनार नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि अपराध व्यावसायिक मात्रा (Commercial Quantity) से जुड़ा है, तो कोर्ट के पास वैधानिक न्यूनतम सजा से कम दंड देने का कोई विवेकाधिकार नहीं है।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की पीठ ने यह भी निर्धारित किया कि केवल नमूने (Sampling) लेने की प्रक्रिया में हुई मामूली अनियमितताएं, अभियोजन पक्ष के मामले को तब तक कमजोर नहीं करतीं, जब तक कि जब्त सामग्री की अखंडता (Integrity) पर संदेह न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2025 को सुनाए गए अपने फैसले में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ज्योति नागज्योति की अपील को खारिज कर दिया और उसकी 10 साल की सज

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