सुप्रीम कोर्ट ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की याचिका को खारिज करते हुए मुकदमों की अंतिमता (Finality in Litigation) के सिद्धांत को बरकरार रखा है। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी आदेश को चुनौती देने वाली पिछली विशेष अनुमति याचिका (SLP) को सुप्रीम कोर्ट में दोबारा आने की ‘विशिष्ट छूट’ (Specific Liberty) के बिना वापस ले लिया गया था, तो दूसरी SLP सुनवाई योग्य (Maintainable) नहीं है।

हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, कोर्ट ने बैंक की वित्तीय देनदारी को केवल पेंशनभोगियों के एक विशिष्ट समूह तक सीमित कर दिया है ताकि आगे की मुकदमेबाजी को रोका जा सके।

मामले की पृष्ठभूमि

इस कानूनी विवाद की शुरुआत हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा CWP संख्या 1679/2010 में 15 मई 2012 को

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