सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्त होने वाला मृतक कर्मचारी का आश्रित परिवार का सदस्य बाद में अपनी योग्यता के आधार पर उच्च पद का दावा नहीं कर सकता। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अनुकंपा नियुक्ति परिवार को अचानक आए वित्तीय संकट से उबारने के लिए दी जाने वाली एक ‘रियायत’ है, न कि किसी विशेष पद पर नियुक्ति पाने का ‘निहित अधिकार’।
जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार को प्रतिवादियों (कर्मचारियों) को जूनियर असिस्टेंट (कनिष्ठ सहायक) के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था, जबकि वे वर्षों पहले ‘सफाई कर्मचारी’ के रूप में नियुक्ति स्वीकार कर चुके थे।
सुप्रीम कोर्ट ने टाउन पंचायत के निदेशक और जिला कलेक्टर, धर्मपुरी द्वारा दायर अपीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि एक बार

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