सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि मोटर दुर्घटना दावा मामलों में केवल सहानुभूति के आधार पर बीमा कंपनी पर दायित्व नहीं थोपा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि ऐसे मामलों में सबूत का मानक “संभावनाओं की प्रबलता” (Preponderance of Probabilities) होता है, लेकिन यदि दुर्घटना में शामिल वाहन की संलिप्तता विश्वसनीय साक्ष्यों से स्थापित नहीं होती है, तो दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने दो मृतक युवकों के कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा दायर अपीलों को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट और मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) के उन समवर्ती निष्कर्षों को बरकरार रखा, जिनमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहे हैं कि कथित वाहन दुर्घटना में शामिल था।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 14 अगस्त 2013 क

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