सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाबालिगों के लिए सहमति की वैधानिक आयु से जुड़े मुद्दे पर 12 नवंबर से लगातार सुनवाई करने का निर्णय लिया। अदालत ने कहा कि यह विषय अत्यंत संवेदनशील है और इसे “टुकड़ों में” नहीं, बल्कि सम्पूर्ण रूप से सुना जाएगा।

यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ के समक्ष आया। पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर कई दिनों तक निरंतर सुनवाई होगी ताकि इससे जुड़े सभी पहलुओं का समग्र समाधान हो सके।

केंद्र सरकार ने सहमति की आयु 18 वर्ष बनाए रखने का जोरदार समर्थन किया है। सरकार का कहना है कि यह निर्णय “सोचा-समझा और ठोस नीति विकल्प” है, जिसका उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से बचाना है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत में कहा कि सहमति की आयु को घटाना या किशोर प्रेम संबंधों के नाम पर अपवाद बनाना कानूनी और

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