सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि अपीलीय अदालतें “असाधारण मामलों” में धन-संबंधी डिक्री (Money Decree) के निष्पादन पर बिना शर्त रोक लगा सकती हैं। यह उन मामलों में हो सकता है जहाँ डिक्री पूरी तरह से अनुचित, स्पष्ट अवैधताओं से भरी या प्रथम दृष्टया ही अस्वीकार्य हो। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने लाइफस्टाइल इक्विटीज सी.वी. द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें अमेज़ॅन टेक्नोलॉजीज इंक. के खिलाफ ₹336 करोड़ से अधिक की मनी डिक्री पर बिना शर्त रोक लगा दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हालांकि सामान्य नियम डिक्री की राशि जमा कराने का है, लेकिन यह केवल एक विवेकपूर्ण नियम है, दीवानी प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के तहत कोई अनिवार्य कानूनी आवश्

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