सुप्रीम कोर्ट ने सात साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न और हत्या के लिए मौत की सज़ा पाए दशवंत नामक व्यक्ति को बरी कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि ट्रायल “एकतरफा तरीके से” आयोजित किया गया था और अभियोजन पक्ष “संदेह से परे अपना मामला साबित करने में बुरी तरह विफल” रहा। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल, और जस्टिस संदीप मेहता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट और निचली अदालत के फैसलों को रद्द कर दिया, जिसमें मुकदमे की प्रक्रिया में स्पष्ट खामियों, निष्पक्ष सुनवाई से इनकार, और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की श्रृंखला को स्थापित करने में अभियोजन पक्ष की पूरी विफलता का हवाला दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 5 फरवरी, 2017 को एक सात वर्षीय लड़की के लापता होने से शुरू हुआ था। उसके पिता, सी.एस.डी. बाबू (PW-1) ने मंगडू पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। जांच का रुख पास के एक मंदिर