सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक बीमा कंपनी को वाहन मालिक से मुआवजे की राशि वसूलने की अनुमति दी गई थी। यह मामला ड्राइवर के लाइसेंस के फर्जी पाए जाने से जुड़ा था। जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की खंडपीठ ने कहा कि बीमा कंपनी यह साबित करने में विफल रही कि वाहन मालिक (हिंद समाचार लिमिटेड) ने ड्राइवर को वाहन सौंपते समय पॉलिसी की शर्तों का जानबूझकर उल्लंघन किया था।
अदालत ने “भुगतान और वसूली” के निर्देश को पलटते हुए इस सिद्धांत को मजबूत किया कि बीमा कंपनी को अपनी देनदारी से बचने के लिए वाहन मालिक द्वारा उचित परिश्रम में कमी को साबित करना होगा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 26 जनवरी, 1993 को हुई एक सड़क दुर्घटना से संबंधित है, जिसमें हिंद समाचार लिमिटेड के एक ट्रक और एक मैटाडोर वैन के बी