इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि पति द्वारा दायर तलाक की याचिका में उसके स्वयं के कथित व्यभिचार पर कोई अतिरिक्त मुद्दा नहीं बनाया जा सकता, खासकर तब जब पत्नी ने इस आधार पर तलाक के लिए कोई काउंटर-क्लेम (जवाबी दावा) दायर न किया हो। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने एक पत्नी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने एक पारिवारिक न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसने इस तरह का अतिरिक्त मुद्दा बनाने की उसकी अर्जी को खारिज कर दिया था।
यह अपील परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 19(1) के तहत दायर की गई थी, जिसमें लखनऊ के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय-8 के 7 जुलाई, 2025 के आदेश को चुनौती दी गई थी। परिवार न्यायालय ने पति द्वारा दायर तलाक याचिका में पत्नी की ओर से सिविल प्रक्रिया संहि