सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 में निर्धारित आयु प्रतिबंध उन इच्छुक माता-पिता पर पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किए जा सकते, जिन्होंने इस कानून के लागू होने से पहले सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए उन अनगिनत जोड़ों को राहत दी है, जिन्होंने पितृत्व की आशा में भ्रूण संरक्षित किए थे, लेकिन बाद में नए कानून द्वारा शुरू की गई ऊपरी आयु सीमा के कारण उन्हें रोक दिया गया था। अदालत ने घोषणा की कि इन जोड़ों के अधिकार उसी क्षण स्थापित हो गए थे जब उन्होंने प्रक्रिया शुरू की थी, और बाद का कोई कानून उन निहित अधिकारों को समाप्त नहीं कर सकता।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला उन जोड़ों द्वारा दायर की गई याचिकाओं की एक श्रृंखला से उत्पन्न हुआ जो सरोगेसी (विनियम

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