दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पति को दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया है कि पत्नी का आचरण, जिसमें शारीरिक हमला, व्यभिचार के निराधार आरोप लगाना और कई परेशान करने वाली आपराधिक कार्यवाहियां शुरू करना शामिल है, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत अत्यधिक मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने पत्नी द्वारा दायर एक अपील को खारिज कर दिया। यह अपील फैमिली कोर्ट, शाहदरा के प्रधान न्यायाधीश के 7 जून, 2022 के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर विवाह को भंग कर दिया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता-पत्नी और प्रतिवादी-पति का विवाह 21 नवंबर, 1997 को हुआ था और उनका एक बेटा है। समय के साथ रिश्ते खराब होते गए, जिसके कारण कई शिकायतें और कानूनी कार्रवाइयां हुईं।