सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर किसी अचल संपत्ति के लिए ‘बिक्री का समझौता’ (Agreement to Sell) किया गया है, लेकिन अंतिम बिक्री विलेख (Sale Deed) पंजीकृत नहीं हुआ है, तो वह संपत्ति मालिक की मृत्यु के समय उसी की मानी जाएगी और मुस्लिम कानून के तहत विरासत के प्रयोजनों के लिए ‘मतरूका’ यानी मृतक की संपत्ति का हिस्सा समझी जाएगी। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि बिक्री का समझौता संपत्ति में कोई स्वामित्व या अधिकार प्रदान नहीं करता है।
यह मामला मृतक चांद खान की विधवा ज़ोहरबी और उनके भाई इमाम खान के बीच एक संपत्ति विवाद से संबंधित था। अदालत के समक्ष मुख्य कानूनी सवाल यह था कि क्या ज़मीन का एक टुकड़ा, जिसे चांद खान ने अपने जीवनकाल में बेचने के लिए समझौता किया था,