मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने 12 साल पुराने एक आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए, अभियुक्त को समन तामील करने में बार-बार विफलता के कारण हुए “12 साल के ठहराव” के लिए राज्य पुलिस और निचली अदालत, दोनों की कड़ी निंदा की है।

न्यायमूर्ति बी. पुगालेंधी की पीठ ने एक याचिका (Crl.OP(MD)No.13075 of 2025) पर सुनवाई करते हुए उन प्रणालीगत चूकों को उजागर किया, जिनके कारण 2013 में दायर एक मामले में 2025 में जाकर समन तामील हो सका। कोर्ट ने मामला रद्द करने से इनकार करते हुए, ट्रायल को तीन महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया और ई-समन प्रणाली को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता, श्री रामासामी, एक वरिष्ठ नागरिक, ने डीडिंगुल जिले के वेदासंदूर स्थित जिला मुंसिफ-सह-न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित कार्यवाही (CC.No.128 of 2013) को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट

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