कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार अपीलों को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने PMLA अपीलीय न्यायाधिकरण के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसने सिंडिकेट बैंक के पास गिरवी रखी गई सात संपत्तियों की कुर्की को रद्द कर दिया था।
न्यायमूर्ति डीके सिंह और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक टी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि एक बैंक (जो खुद अपने कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी का शिकार हुआ हो) के पास गिरवी रखी संपत्तियों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) के तहत ‘अपराध की आय’ (proceeds of crime) के रूप में कुर्क नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने एक गंभीर प्रक्रियात्मक खामी को भी उजागर किया कि न्यायनिर्णयन प्राधिकरण (Adjudicating Authority) ने कुर्की की पुष्टि करते समय बैंक को कोई नोटिस जारी नहीं किया था, जिसका उन संपत्तियों में सुरक्षा हित (security interest) था।

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